श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 85: भगवान् विष्णु के तेज का इन्द्र और वज्र आदि में प्रवेश, इन्द्र के वज्र से वृत्रासुर का वध तथा ब्रह्महत्याग्रस्त इन्द्र का अन्धकारमय प्रदेश में जाना  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  7.85.19 
 
 
हतश्चायं त्वया वृत्रो ब्रह्महत्या च वासवम्।
बाधते सुरशार्दूल मोक्षं तस्य विनिर्दिश॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  हे स्वर्ग के राजा! आपने वृत्रासुर का वध कर दिया है, परंतु ब्रह्महत्या देवराज इंद्र को परेशान कर रही है; इसलिए आप उपाय बताइए कि इंद्रदेव को इस ब्रह्महत्या से मुक्ति कैसे मिलेगी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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