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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 85: भगवान् विष्णु के तेज का इन्द्र और वज्र आदि में प्रवेश, इन्द्र के वज्र से वृत्रासुर का वध तथा ब्रह्महत्याग्रस्त इन्द्र का अन्धकारमय प्रदेश में जाना
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श्लोक 18
श्लोक
7.85.18
त्वं गति: परमेशान पूर्वजो जगत: पिता।
रक्षार्थं सर्वभूतानां विष्णुत्वमुपजग्मिवान्॥ १८॥
अनुवाद
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(देवताओं ने कहा -) हे परमेश्वर! आप ही जगत के आधार और आदि पिता हैं। आपने सभी प्राणियों की रक्षा के लिए विष्णु के रूप को धारण किया है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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