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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 85: भगवान् विष्णु के तेज का इन्द्र और वज्र आदि में प्रवेश, इन्द्र के वज्र से वृत्रासुर का वध तथा ब्रह्महत्याग्रस्त इन्द्र का अन्धकारमय प्रदेश में जाना
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श्लोक 10
श्लोक
7.85.10
तत: सर्वे महात्मान: सहस्राक्षपुरोगमा:।
तदरण्यमुपाक्रामन् यत्र वृत्रो महासुर:॥ १०॥
अनुवाद
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तत्पश्चात् इन्द्र तथा अन्य सभी महान देवता उस वन में पहुँचे, जहाँ महान असुर वृत्र तपस्या कर रहा था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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