श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 84: लक्ष्मण का अश्वमेध यज्ञ का प्रस्ताव करते हुए इन्द्र और वृत्रासुर की कथा सुनाना, वृत्रासुर की तपस्या और इन्द्र का भगवान् विष्णु से उसके वध के लिये अनुरोध  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  7.84.17 
 
 
इमे हि सर्वे विष्णो त्वां निरीक्षन्ते दिवौकस:।
वृत्रघातेन महता तेषां साह्यं कुरुष्व ह॥ १७॥
 
 
अनुवाद
 
  विष्णो! ये सब देवता आपकी ओर निहार रहे हैं। वृत्रासुर का वध एक महान कार्य है। उसे करके आप उन देवताओं का उपकार करें।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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