श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 84: लक्ष्मण का अश्वमेध यज्ञ का प्रस्ताव करते हुए इन्द्र और वृत्रासुर की कथा सुनाना, वृत्रासुर की तपस्या और इन्द्र का भगवान् विष्णु से उसके वध के लिये अनुरोध  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  7.84.10 
 
 
स निक्षिप्य सुतं ज्येष्ठं पौरेषु मधुरेश्वरम्।
तप उग्रं समातिष्ठत् तापयन् सर्वदेवता:॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  उसने अपने ज्येष्ठ पुत्र मधुरेश्वर को पुरवासियों को सौंपकर राजा बनाया और उसके बाद खुद कठोर तपस्या करने लगा, जिससे सभी देवता कष्ट पाने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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