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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 83: भरत के कहने से श्रीराम का राजसूय यज्ञ करने के विचार से निवृत्त होना
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श्लोक 16
श्लोक
7.83.16
भरतस्य तु तद् वाक्यं श्रुत्वामृतमयं यथा।
प्रहर्षमतुलं लेभे राम: सत्यपराक्रम:॥ १६॥
अनुवाद
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सत्यपराक्रमी श्रीराम ने भरत के मधुर वचनों को सुना, जिससे उन्हें अमृत जैसा आनंद प्राप्त हुआ।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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