श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 82: श्रीराम का अगस्त्य-आश्रम से अयोध्यापुरी को लौटना  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  7.82.19 
 
 
ततो विसृज्य रुचिरं पुष्पकं कामगामिनम्।
विसर्जयित्वा गच्छेति स्वस्ति तेऽस्त्विति च प्रभु:॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  तत्पश्चात् इच्छानुसार चलने वाले उस सुन्दर पुष्पक विमान को वहीं छोड़कर भगवान ने उससे कहा— ‘अब आप जाओ, आपका मंगल हो’।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.