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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 82: श्रीराम का अगस्त्य-आश्रम से अयोध्यापुरी को लौटना
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श्लोक 17
श्लोक
7.82.17
खस्थ: स ददृशे राम: पुष्पके हेमभूषिते।
शशी मेघसमीपस्थो यथा जलधरागमे॥ १७॥
अनुवाद
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स्वर्णाभूषणों से सुशोभित पुष्पक विमान में सवार श्रीराम आकाश में विचरण करते हुए वर्षाकाल में बादलों के समीप स्थित चंद्रमा की तरह दिखाई दे रहे थे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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