श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 82: श्रीराम का अगस्त्य-आश्रम से अयोध्यापुरी को लौटना  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  7.82.13 
 
 
त्वं गच्छारिष्टमव्यग्र: पन्थानमकुतोभयम्।
प्रशाधि राज्यं धर्मेण गतिर्हि जगतो भवान्॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  आप आराम से चिन्तामुक्त होकर यात्रा कर सकते हैं क्योंकि रास्ते में आपके सामने कहीं कोई भय नहीं है। आप धर्म के मार्ग का अनुसरण करते हुए शासन कीजिए क्योंकि आप ही संसार के परम आश्रय हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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