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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 81: शुक्र के शाप से सपरिवार राजा दण्ड और उनके राज्य का नाश
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श्लोक 8
श्लोक
7.81.8
समन्ताद् योजनशतं विषयं चास्य दुर्मते:।
धक्ष्यते पांसुवर्षेण महता पाकशासन:॥ ८॥
अनुवाद
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इस दुर्बुद्धि वाले राजा के विशाल राज्य, जो हर दिशा में सौ योजन तक फैला हुआ है, को देवराज इंद्र भारी धूल की वर्षा करके नष्ट कर देंगे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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