श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 81: शुक्र के शाप से सपरिवार राजा दण्ड और उनके राज्य का नाश  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  7.81.15 
 
 
त्वत्समीपे च ये सत्त्वा वासमेष्यन्ति तां निशाम्।
अवध्या: पांसुवर्षेण ते भविष्यन्ति नित्यदा॥ १५॥
 
 
अनुवाद
 
  तव निकट जो प्राणी उस रात को रहेंगे, वे कभी भी धूल की वर्षा से मारे नहीं जायेंगे व सदा बने रहेंगे।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.