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श्लोक 15
श्लोक
7.81.15
त्वत्समीपे च ये सत्त्वा वासमेष्यन्ति तां निशाम्।
अवध्या: पांसुवर्षेण ते भविष्यन्ति नित्यदा॥ १५॥
अनुवाद
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तव निकट जो प्राणी उस रात को रहेंगे, वे कभी भी धूल की वर्षा से मारे नहीं जायेंगे व सदा बने रहेंगे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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