श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 81: शुक्र के शाप से सपरिवार राजा दण्ड और उनके राज्य का नाश  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  7.81.14 
 
 
इदं योजनपर्यन्तं सर: सुरुचिरप्रभम्।
अरजे विज्वरा भुङ्क्ष्व कालश्चात्र प्रतीक्ष्यताम्॥ १४॥
 
 
अनुवाद
 
  अरजे! यह सुन्दर झील, जो एक योजन तक फैली हुई है, इसका तुम निश्चिंत होकर उपभोग करो और अपने अपराधों से मुक्ति पाने के लिए यहीं समय का इंतजार करो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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