श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 81: शुक्र के शाप से सपरिवार राजा दण्ड और उनके राज्य का नाश  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  7.81.13 
 
 
स तथोक्त्वा मुनिजनमरजामिदमब्रवीत्।
इहैव वस दुर्मेधे आश्रमे सुसमाहिता॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  शुकदेव जी ने आश्रमवासियों को यह बात कहने के बाद अरुंधती से कहा- "हे कुबुद्धि! तुम यहीं आश्रम में मन को भगवान के ध्यान में एकाग्र करके रहो।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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