श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 8: माल्यवान् का युद्ध और पराजय तथा सुमाली आदि सब राक्षसों का रसातल में प्रवेश  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  7.8.22 
 
 
अशक्नुवन्तस्ते विष्णुं प्रतियोद्धुं बलार्दिता:।
त्यक्त्वा लङ्कां गता वस्तुं पातालं सहपत्नय:॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  निवेदन है, वे किसी प्रकार भगवान् विष्णु के समक्ष खड़े नहीं हो सके। सदैव उनके आघात से पीड़ित होते रहे। इसलिए सभी राक्षस लंका को छोड़कर अपनी पत्नियों के साथ पाताल में रहने के लिए चले गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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