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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 77: महर्षि अगस्त्य का एक स्वर्गीय पुरुष के शवभक्षण का प्रसंग सुनाना
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श्लोक 19
श्लोक
7.77.19
को भवान् देवसंकाश आहारश्च विगर्हित:।
त्वयेदं भुज्यते सौम्य किमर्थं वक्तुमर्हसि॥ १९॥
अनुवाद
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"हे सौम्य! तुम इतने सुंदर हो और देवताओं के समान दिखते हो, फिर भी तुम ऐसा घृणित आहार क्यों ग्रहण कर रहे हो? मुझे बताओ कि तुम ऐसा क्यों कर रहे हो।"
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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