श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 77: महर्षि अगस्त्य का एक स्वर्गीय पुरुष के शवभक्षण का प्रसंग सुनाना  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  7.77.18 
 
 
तमहं देवसंकाशमारोहन्तमुदीक्ष्य वै।
अथाहमब्रुवं वाक्यं तमेव पुरुषर्षभ॥ १८॥
 
 
अनुवाद
 
  पुरुषोत्तम! मैंने देखा कि उन देवतुल्य पुरुष का विमान पर आरोहण कर रहे हैं, तब मैंने उनसे एक बात कही।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.