श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 77: महर्षि अगस्त्य का एक स्वर्गीय पुरुष के शवभक्षण का प्रसंग सुनाना  »  श्लोक 14-15
 
 
श्लोक  7.77.14-15 
 
 
तत: सिंहासनं हित्वा मेरुकूटमिवांशुमान्॥ १४॥
पश्यतो मे तदा राम विमानादवरुह्य च।
तं शवं भक्षयामास स स्वर्गी रघुनन्दन॥ १५॥
 
 
अनुवाद
 
  रघुकुल नन्दन श्रीराम! तत्पश्चात मेरु पर्वत की चोटी से निकलते हुए सूर्य के समान उस स्वर्गवासी पुरुष ने देखते ही देखते विमान से नीचे उतरकर उस शव को खा लिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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