तत: सिंहासनं हित्वा मेरुकूटमिवांशुमान्॥ १४॥
पश्यतो मे तदा राम विमानादवरुह्य च।
तं शवं भक्षयामास स स्वर्गी रघुनन्दन॥ १५॥
अनुवाद
रघुकुल नन्दन श्रीराम! तत्पश्चात मेरु पर्वत की चोटी से निकलते हुए सूर्य के समान उस स्वर्गवासी पुरुष ने देखते ही देखते विमान से नीचे उतरकर उस शव को खा लिया।