वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 7: उत्तर काण्ड
»
सर्ग 75: श्रीराम का पुष्पकविमान द्वारा अपने राज्य की सभी दिशाओं में घूमकर दुष्कर्म का पता लगाना; किंतु सर्वत्र सत्कर्म ही देखकर दक्षिण दिशा में एक शूद्र तपस्वी के पास पहुँचना
»
श्लोक 8
श्लोक
7.75.8
भाषितं रुचिरं श्रुत्वा पुष्पकस्य नराधिप:।
अभिवाद्य महर्षीन् स विमानं सोऽध्यरोहत॥ ८॥
अनुवाद
play_arrowpause
श्रीरामजी ने पुष्पक विमान के मधुर वचनों को सुनकर महर्षियों को प्रणाम किया और विमान पर चढ़ गए।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.