श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 75: श्रीराम का पुष्पकविमान द्वारा अपने राज्य की सभी दिशाओं में घूमकर दुष्कर्म का पता लगाना; किंतु सर्वत्र सत्कर्म ही देखकर दक्षिण दिशा में एक शूद्र तपस्वी के पास पहुँचना  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  7.75.8 
 
 
भाषितं रुचिरं श्रुत्वा पुष्पकस्य नराधिप:।
अभिवाद्य महर्षीन् स विमानं सोऽध्यरोहत॥ ८॥
 
 
अनुवाद
 
  श्रीरामजी ने पुष्पक विमान के मधुर वचनों को सुनकर महर्षियों को प्रणाम किया और विमान पर चढ़ गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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