देखकर राजा श्री राम जी उस तपस्वी के पास पहुँचकर और उग्र तपस्या करते हुए बोलते हैं कि उत्तम व्रत का पालन करने वाले तापस! तुम धन्य हो। तपस्या में निरंतर और दृढ़ पराक्रमी पुरुष! तुम्हारा जन्म किस जाति में हुआ है? मैं दशरथ का पुत्र राम तुम्हारा परिचय सुनना चाहता हूं इसलिए ये बातें पूछ रहा हूं।