श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 75: श्रीराम का पुष्पकविमान द्वारा अपने राज्य की सभी दिशाओं में घूमकर दुष्कर्म का पता लगाना; किंतु सर्वत्र सत्कर्म ही देखकर दक्षिण दिशा में एक शूद्र तपस्वी के पास पहुँचना  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  7.75.12 
 
 
प्रविशुद्धसमाचारामादर्शतलनिर्मलाम्।
पुष्पकस्थो महाबाहुस्तदापश्यन्नराधिप:॥ १२॥
 
 
अनुवाद
 
  पुष्पक विमान में विराजमान महाबाहु राजा श्रीराम ने स्वर्ग में देखा कि वहाँ भी सदाचार का पालन होता है। वह दिशा दर्पण की तरह निर्मल दिखायी पड़ी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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