राजन् ! द्वापर युग में भी शूद्रों का तपस्या करना बहुत बड़ा अधर्म माना जाता है। (फिर त्रेतायुग के लिए तो कहना ही क्या है?) महाराज! निश्चय ही आपके राज्य की किसी सीमा पर कोई दुष्ट बुद्धि वाला शूद्र बड़ी तपस्या करके तप कर रहा है, उसी के कारण इस बालक की मृत्यु हुई है। २८ १/२॥