श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 74: नारदजी का श्रीराम से एक तपस्वी शूद्र के अधर्माचरण को ब्राह्मण-बालक की मृत्यु में कारण बताना  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  7.74.19 
 
 
पातिते त्वनृते तस्मिन्नधर्मेण महीतले।
शुभान्येवाचरँल्लोक: सत्यधर्मपरायण:॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  अनृत के रूप में अधर्म के इस चरण के पृथ्वी पर पड़ने पर सत्यधर्म के प्रति समर्पित व्यक्ति अनृत के बुरे परिणामों से बचने के लिए केवल शुभ कर्म ही करते हैं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.