श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 74: नारदजी का श्रीराम से एक तपस्वी शूद्र के अधर्माचरण को ब्राह्मण-बालक की मृत्यु में कारण बताना  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  7.74.18 
 
 
अनृतं पातयित्वा तु पादमेकमधर्मत:।
तत: प्रादुष्कृतं पूर्वमायुष: परिनिष्ठितम्॥ १८॥
 
 
अनुवाद
 
  अधर्म ने अनृत (असत्य) के रूप में एक पैर को धरती पर रखकर, सत्ययुग की अपेक्षा त्रेतायुग में आयु को सीमित कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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