नेदृशं दृष्टपूर्वं मे श्रुतं वा घोरदर्शनम्।
मृत्युरप्राप्तकालानां रामस्य विषये ह्ययम्॥ ९॥
अनुवाद
श्रीराम के राज्य में पहले कभी ऐसी भयावह घटना नहीं देखी गई थी और न ही इसके बारे में सुनने में आया था। प्राणियों की मृत्यु इस प्रकार हो रही थी जैसे कि वे सामूहिक रूप से अपना समय पूरा करके जा रहे हों।