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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 72: वाल्मीकिजी से विदा ले शत्रुघ्नजी का अयोध्या में जाकर श्रीराम आदि से मिलना और सात दिनोंतक वहाँ रहकर पुनः मधुपुरी को प्रस्थान करना
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श्लोक 16
श्लोक
7.72.16
ममापि त्वं सुदयित: प्राणैरपि न संशय:।
अवश्यं करणीयं च राज्यस्य परिपालनम्॥ १६॥
अनुवाद
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निस्संदेह तुम मेरे प्राणों से भी बढ़कर प्रिय हो, इसमें कोई संदेह नहीं। किंतु राज्य का पालन करना भी मेरा कर्तव्य है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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