श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 71: शत्रुघ्न का थोड़े-से सैनिकों के साथ अयोध्या को प्रस्थान, मार्ग में वाल्मीकि के आश्रम में रामचरित का गान सुनकर उन सबका आश्चर्यचकित होना  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  7.71.9 
 
 
रावणस्य वधो घोरो यत्नेन महता कृता:।
इदं च सुमहत्कर्म त्वया कृतमयत्नत:॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण का बहुत कष्ट से घोर संहार हुआ था, किंतु तुमने यह महान कर्म बिना किसी यत्न के ही कर दिखाया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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