श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 71: शत्रुघ्न का थोड़े-से सैनिकों के साथ अयोध्या को प्रस्थान, मार्ग में वाल्मीकि के आश्रम में रामचरित का गान सुनकर उन सबका आश्चर्यचकित होना  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  7.71.6 
 
 
उवाच च मुनिर्वाक्यं लवणस्य वधाश्रितम्।
सुदुष्करं कृतं कर्म लवणं निघ्नता त्वया॥ ६॥
 
 
अनुवाद
 
  फिर मुनि ने लवणवध पर बोला - हे राक्षस! लवणासुर का वध करके तुमने बहुत कठिन कार्य किया है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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