श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 71: शत्रुघ्न का थोड़े-से सैनिकों के साथ अयोध्या को प्रस्थान, मार्ग में वाल्मीकि के आश्रम में रामचरित का गान सुनकर उन सबका आश्चर्यचकित होना  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  7.71.4 
 
 
सोऽभिवाद्य तत: पादौ वाल्मीके: पुरुषर्षभ:।
पाद्यमर्घ्यं तथातिथ्यं जग्राह मुनिहस्तत:॥ ४॥
 
 
अनुवाद
 
  पुरुष श्रेष्ठ रघुवीर ने वाल्मीकिजी के चरणों में प्रणाम करके उनके हाथ से पाद्य और अर्घ्य आदि अतिथि-सत्कार की सामग्री ग्रहण की।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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