श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 70: देवताओं से वरदान पा शत्रुघ्न का मधुरापुरी को बसाकर बारहवें वर्ष में वहाँ से श्रीराम के पास जाने का विचार करना  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  7.70.5 
 
 
इयं मधुपुरी रम्या मधुरा देवनिर्मिता।
निवेशं प्राप्नुयाच्छीघ्रमेष मेऽस्तु वर: पर:॥ ५॥
 
 
अनुवाद
 
  हे देवताओं! यह सुंदर तथा मधुर नगरी मधुपुरी, शीघ्र ही एक मनमोहक राजधानी बन जाए, यही मेरे लिए सबसे अच्छा वरदान है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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