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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 70: देवताओं से वरदान पा शत्रुघ्न का मधुरापुरी को बसाकर बारहवें वर्ष में वहाँ से श्रीराम के पास जाने का विचार करना
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श्लोक 12
श्लोक
7.70.12
यच्च तेन पुरा शुभ्रं लवणेन कृतं महत्।
तच्छोभयति शत्रुघ्नो नानावर्णोपशोभिताम्॥ १२॥
अनुवाद
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पूर्वकाल में लवणासुर ने जिन विशाल गृहों का निर्माण करवाया था, शत्रुघ्नजी ने अब उनका जीर्णोद्धार करवा कर उनको सफेद रंग से रंगवाया और नाना प्रकार के रंगबिरंगे चित्रों से उनको सजा कर उनकी शोभा को बढ़ाया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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