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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 6
श्लोक
7.69.6
त्वयि मद्बाणनिर्दग्धे पतितेऽद्य निशाचर।
पुरे जनपदे चापि क्षेममेव भविष्यति॥ ६॥
अनुवाद
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‘निशाचर! आज मेरे बाणोंसे दग्ध होकर जब तूधरती पर गिर जायगा, उस समय इस नगर और जनपदमें भी सबका कल्याण ही होगा॥ ६॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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