श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 69: शत्रुघ्न और लवणासुर का युद्ध तथा लवण का वध  »  श्लोक 33-34h
 
 
श्लोक  7.69.33-34h 
 
 
आहूतश्च पुनस्तेन शत्रुघ्नेन महात्मना॥ ३३॥
लवण: क्रोधसंयुक्तो युद्धाय समुपस्थित:।
 
 
अनुवाद
 
  महात्मा शत्रुघ्न द्वारा दोबारा ललकारे जाने पर लवणासुर के भीतर क्रोध का भयंकर ज्वार बहने लगा। वह युद्ध के लिए अपने सामने आ खड़ा हुआ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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