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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 69: शत्रुघ्न और लवणासुर का युद्ध तथा लवण का वध
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श्लोक 31-32h
श्लोक
7.69.31-32h
तं शरं दिव्यसंकाशं शत्रुघ्नकरधारितम्॥ ३१॥
ददृशु: सर्वभूतानि युगान्ताग्निमिवोत्थितम्।
अनुवाद
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शत्रुघ्न के हाथ में लिये गये उस दिव्य बाण को सभी प्राणियों ने देखा। वह बाण युगों के अंत में होने वाली प्रलय की अग्नि के समान प्रज्वलित हो रहा था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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