श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 69: शत्रुघ्न और लवणासुर का युद्ध तथा लवण का वध  »  श्लोक 25-26h
 
 
श्लोक  7.69.25-26h 
 
 
उवाच मधुरां वाणीं शृणुध्वं सर्वदेवता:।
वधाय लवणस्याजौ शर: शत्रुघ्नधारित:॥ २५॥
तेजसा तस्य सम्मूढा: सर्वे स्म सुरसत्तमा:।
 
 
अनुवाद
 
  वे मधुर वाणीमें बोले—‘सम्पूर्ण देवताओ! मेरी बात सुनो। आज शत्रुघ्नने युद्धस्थलमें लवणासुरका वध करनेके लिये जो बाण हाथमें लिया है, उसीके तेजसे हम सब लोग मोहित हो रहे हैं। ये श्रेष्ठ देवता भी उसीसे घबराये हुए हैं॥ २५ १/२॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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