वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 7: उत्तर काण्ड
»
सर्ग 69: शत्रुघ्न और लवणासुर का युद्ध तथा लवण का वध
»
श्लोक 25-26h
श्लोक
7.69.25-26h
उवाच मधुरां वाणीं शृणुध्वं सर्वदेवता:।
वधाय लवणस्याजौ शर: शत्रुघ्नधारित:॥ २५॥
तेजसा तस्य सम्मूढा: सर्वे स्म सुरसत्तमा:।
अनुवाद
play_arrowpause
वे मधुर वाणीमें बोले—‘सम्पूर्ण देवताओ! मेरी बात सुनो। आज शत्रुघ्नने युद्धस्थलमें लवणासुरका वध करनेके लिये जो बाण हाथमें लिया है, उसीके तेजसे हम सब लोग मोहित हो रहे हैं। ये श्रेष्ठ देवता भी उसीसे घबराये हुए हैं॥ २५ १/२॥
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.