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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 69: शत्रुघ्न और लवणासुर का युद्ध तथा लवण का वध
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श्लोक 16
श्लोक
7.69.16
मुहूर्ताल्लब्धसंज्ञस्तु पुनस्तस्थौ धृतायुध:।
शत्रुघ्नो वै पुरद्वारि ऋषिभि: सम्प्रपूजित:॥ १६॥
अनुवाद
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शत्रुघ्न कुछ ही क्षणों में होश में आ गये और उन्होंने अपने अस्त्र-शस्त्र उठाए और फिर नगर के द्वार पर खड़े हो गये। उस समय ऋषियों ने उनकी बहुत प्रशंसा की।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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