श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 68: लवणासुर का आहार के लिये निकलना, शत्रुघ्न का मधुपुरी के द्वार पर डट जाना और लौटे हुए लवणासुर के साथ उनकी रोषभरी बातचीत  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  7.68.9 
 
 
तस्य रोषाभिभूतस्य शत्रुघ्नस्य महात्मन:।
तेजोमया मरीच्यस्तु सर्वगात्रैर्विनिष्पतन्॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  शत्रुघ्न के क्रोध से उनके प्रत्येक अंग से तेजस्वी किरणें निकलने लगीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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