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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 68: लवणासुर का आहार के लिये निकलना, शत्रुघ्न का मधुपुरी के द्वार पर डट जाना और लौटे हुए लवणासुर के साथ उनकी रोषभरी बातचीत
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श्लोक 8
श्लोक
7.68.8
तस्यैवं भाषमाणस्य हसतश्च मुहुर्मुहु:।
शत्रुघ्नो वीर्यसम्पन्नो रोषादश्रूण्यवासृजत्॥ ८॥
अनुवाद
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उस राक्षस ने इस प्रकार की बातें कहना जारी रखा और बार-बार हंसता रहा। इसे देखते ही तेजस्वी शत्रुघ्न के नेत्रों से रोष के कारण अश्रु बहने लगे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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