श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 68: लवणासुर का आहार के लिये निकलना, शत्रुघ्न का मधुपुरी के द्वार पर डट जाना और लौटे हुए लवणासुर के साथ उनकी रोषभरी बातचीत  »  श्लोक 5-6
 
 
श्लोक  7.68.5-6 
 
 
ततो ददर्श शत्रुघ्नं स्थितं द्वारि धृतायुधम्।
तमुवाच ततो रक्ष: किमनेन करिष्यसि॥ ५॥
ईदृशानां सहस्राणि सायुधानां नराधम।
भक्षितानि मया रोषात् कालेनानुगतो ह्यसि॥ ६॥
 
 
अनुवाद
 
  उस समय उसने शत्रुघ्नको अस्त्र-शस्त्र लिये द्वारपर खड़ा देखा। देखकर वह राक्षस उनसे बोला—‘नराधम! इस हथियारसे तू मेरा क्या कर लेगा। तेरे-जैसे हजारों अस्त्र-शस्त्रधारी मनुष्योंको मैं रोषपूर्वक खा चुका हूँ। जान पड़ता है काल तेरे सिरपर नाच रहा है॥ ५-६॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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