श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 68: लवणासुर का आहार के लिये निकलना, शत्रुघ्न का मधुपुरी के द्वार पर डट जाना और लौटे हुए लवणासुर के साथ उनकी रोषभरी बातचीत  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  7.68.11 
 
 
पुत्रो दशरथस्याहं भ्राता रामस्य धीमत:।
शत्रुघ्नो नाम शत्रुघ्नो वधाकांक्षी तवागत:॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘मैं महाराज दशरथका पुत्र और परम बुद्धिमान् राजा श्रीरामका भाई हूँ। मेरा नाम शत्रुघ्न है और मैं कामसे भी शत्रुघ्न (शत्रुओंका संहार करनेवाला) ही हूँ। इस समय तेरा वध करनेके लिये यहाँ आया हूँ॥ ११॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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