श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 68: लवणासुर का आहार के लिये निकलना, शत्रुघ्न का मधुपुरी के द्वार पर डट जाना और लौटे हुए लवणासुर के साथ उनकी रोषभरी बातचीत  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  7.68.10 
 
 
उवाच च सुसंक्रुद्ध: शत्रुघ्न: स निशाचरम्।
योद्धुमिच्छामि दुर्बुद्धे द्वन्द्वयुद्धं त्वया सह॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  उस समय अत्यन्त क्रोधित हुए शत्रुघ्न ने उस निशाचर से कहा, "अरे दुष्ट बुद्धि वाले राक्षस! मैं तुझसे द्वन्द्वयुद्ध करना चाहता हूँ।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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