श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 67: च्यवन मुनि का शत्रुघ्न को लवणासुर के शूल की शक्ति का परिचय देते हुए राजा मान्धाता के वध का प्रसंग सुनाना  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  7.67.6 
 
 
स कृत्वा पृथिवीं कृत्स्नां शासने पृथिवीपति:।
सुरलोकमितो जेतुमुद्योगमकरोन्नृप:॥ ६॥
 
 
अनुवाद
 
  उस पृथ्वीपति नरेश ने सारी पृथ्वी को जीतकर अब स्वर्ग लोक पर विजय पाने की तैयारी आरंभ कर दी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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