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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 67: च्यवन मुनि का शत्रुघ्न को लवणासुर के शूल की शक्ति का परिचय देते हुए राजा मान्धाता के वध का प्रसंग सुनाना
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श्लोक 3
श्लोक
7.67.3
तस्य तद् वचनं श्रुत्वा शत्रुघ्नस्य महात्मन:।
प्रत्युवाच महातेजाश्च्यवनो रघुनन्दनम्॥ ३॥
अनुवाद
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महात्मा शत्रुघ्न के इस वचन को सुनकर महातेजस्वी च्यवन ने रघुकुल के नंदन, राजकुमार से कहा-
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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