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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 67: च्यवन मुनि का शत्रुघ्न को लवणासुर के शूल की शक्ति का परिचय देते हुए राजा मान्धाता के वध का प्रसंग सुनाना
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श्लोक 23
श्लोक
7.67.23
श्व: प्रभाते तु लवणं वधिष्यसि न संशय:।
अगृहीतायुधं क्षिप्रं ध्रुवो हि विजयस्तव॥ २३॥
अनुवाद
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‘राजन्! कल सबेरे जबतक वह राक्षस उस अस्त्रको न ले, तबतक ही शीघ्रता करनेपर तुम नि:संदेह उसका वध कर सकोगे और इस प्रकार निश्चय ही तुम्हारी विजय होगी॥ २३॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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