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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 67: च्यवन मुनि का शत्रुघ्न को लवणासुर के शूल की शक्ति का परिचय देते हुए राजा मान्धाता के वध का प्रसंग सुनाना
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श्लोक 18
श्लोक
7.67.18
स गत्वा विप्रियाण्याह बहूनि मधुन: सुतम्।
वदन्तमेवं तं दूतं भक्षयामास राक्षस:॥ १८॥
अनुवाद
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‘दूतने वहाँ जाकर मधुके पुत्रको बहुत-से कटुवचन सुनाये। इस तरह कठोर बातें कहते हुए उस दूतको वह राक्षस तुरंत खा गया॥ १८॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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