श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 67: च्यवन मुनि का शत्रुघ्न को लवणासुर के शूल की शक्ति का परिचय देते हुए राजा मान्धाता के वध का प्रसंग सुनाना  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  7.67.17 
 
 
स काङ्क्षमाणो लवणं युद्धाय पुरुषर्षभ:।
दूतं सम्प्रेषयामास सकाशं लवणस्य स:॥ १७॥
 
 
अनुवाद
 
  लवण के साथ युद्ध करने की इच्छा रखने वाले पुरुषों में श्रेष्ठ उस राजा ने अपने दूत को लवण के पास भेजा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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