वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 7: उत्तर काण्ड
»
सर्ग 67: च्यवन मुनि का शत्रुघ्न को लवणासुर के शूल की शक्ति का परिचय देते हुए राजा मान्धाता के वध का प्रसंग सुनाना
»
श्लोक 13
श्लोक
7.67.13
तमुवाच सहस्राक्षो लवणो नाम राक्षस:।
मधुपुत्रो मधुवने न तेऽऽज्ञां कुरुतेऽनघ॥ १३॥
अनुवाद
play_arrowpause
तब इंद्र ने कहा - हे निष्पाप नरेश! मधुवन में मधु का पुत्र लवणासुर रहता है। वह तुम्हारी आज्ञा का पालन नहीं करता है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.