श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 67: च्यवन मुनि का शत्रुघ्न को लवणासुर के शूल की शक्ति का परिचय देते हुए राजा मान्धाता के वध का प्रसंग सुनाना  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  7.67.12 
 
 
इन्द्रमेवं ब्रुवाणं तं मान्धाता वाक्यमब्रवीत्।
क्व मे शक्र प्रतिहतं शासनं पृथिवीतले॥ १२॥
 
 
अनुवाद
 
  देवराज इंद्र से मान्धाता ने पूछा - "मेरी आज्ञा पृथ्वी पर कहाँ नहीं मानी जाती है?"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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