स काञ्चनाद्यैर्मुनिभि: समेतै
रघुप्रवीरो रजनीं तदानीम्।
कथाप्रकारैर्बहुभिर्महात्मा
विरामयामास नरेन्द्रसूनु:॥ १७॥
अनुवाद
इस प्रकार सुवर्णमय वस्त्रों से विभूषित च्यवन आदि महान ऋषियों से घिरे हुए रघुकुल के महात्मा वीर राजकुमार शत्रुघ्न ने उस समय यमुना नदी के तट पर रात बितायी। उन्होंने कई प्रकार की कथाओं को सुना।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये उत्तरकाण्डे षट्षष्टितम: सर्ग: ॥ ६ ६॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके उत्तरकाण्डमें छाछठवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ६ ६॥