श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 66: सीता के दो पुत्रों का जन्म, वाल्मीकि द्वारा उनकी रक्षा की व्यवस्था और इस समाचार से प्रसन्न हुए शत्रुघ्न का वहाँ से प्रस्थान करके यमुनातट पर पहुँचना  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  7.66.13 
 
 
तदा तस्य प्रहृष्टस्य शत्रुघ्नस्य महात्मन:।
व्यतीता वार्षिकी रात्रि: श्रावणी लघुविक्रमा॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  वार्षिकी श्रावणी रात्रि तेज़ी से बीत गई, वो भी बहुत प्रसन्नचित्त शत्रुघ्न महात्मा के लिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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