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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 65: महर्षि वाल्मीकि का शत्रुघ्न को सुदासपुत्र कल्माषपाद की कथा सुनाना
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श्लोक 32-33h
श्लोक
7.65.32-33h
तेनास्य राज्ञस्तौ पादौ तदा कल्माषतां गतौ।
तदाप्रभृति राजासौ सौदास: सुमहायशा:॥ ३२॥
कल्माषपाद: संवृत्त: ख्यातश्चैव तथा नृप:।
अनुवाद
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सम्पूर्ण घटनाक्रम के पश्चात् राजा के दोनों पैर तत्काल काले पड़ गये। तब से महान यशस्वी राजा सौदास कल्माषपाद (काले पैर वाले) कहलाए और उसी नाम से उनकी ख्याति हुई।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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